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AI से बना फर्जी लोकल ट्रेन टिकट! TTE के एक सवाल ने खोली पोल – मुंबई में बड़ा खुलासा

मुंबई लोकल में AI से बनाए फर्जी सीजन पास का बड़ा खुलासा! परेल–कल्याण AC लोकल में तीन यात्रियों ने AI टिकट दिखाकर सफर करने की कोशिश की लेकिन TTE के सिर्फ एक सवाल ने उनकी पूरी चाल पकड़ ली। टिकट UTS ऐप में नहीं खुला, सभी पास पर एक ही नंबर था और रेलवे रिकॉर्ड में कोई एंट्री नहीं मिली। जानिए कैसे AI टिकट स्कैम बढ़ रहा है और रेलवे ने किन धाराओं में केस दर्ज किया है। फर्जी AI टिकट से सफर करने वालों पर अब

AI से बना फर्जी लोकल ट्रेन टिकट! TTE के एक सवाल ने खोली पोल – मुंबई में बड़ा खुलासा

AI से बना फर्जी लोकल ट्रेन टिकट!

mumbai

4:12 PM, Dec 1, 2025

O News हिंदी Desk

AI से बना फर्जी लोकल ट्रेन टिकट! TTE के एक सवाल ने खोल दी पूरी पोल – मुंबई में बड़ा खुलासा

मुंबई लोकल को देश की लाइफलाइन कहा जाता है, और इसका कारण भी है—हर दिन लाखों लोग इससे सफर करते हैं। लेकिन अब इसी लाइफलाइन पर एक नया तरह का स्कैम तेजी से बढ़ रहा है: AI से बनाए गए फर्जी ट्रेन टिकट! 28 नवंबर को मुंबई सेंट्रल रेलवे की AC लोकल में ऐसा ही मामला सामने आया, जिसने रेलवे अधिकारियों को चौकन्ना कर दिया है। तीन यात्रियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया गया नकली सीजन पास दिखाया, लेकिन TTE के सिर्फ एक सवाल ने उनकी पूरी चालबाज़ी पकड़ ली।

कैसे हुआ खुलासा? TTE के एक सवाल ने कर दी सारी बातें साफ

शाम 6:45 बजे परेल से कल्याण के लिए रवाना AC लोकल में TTE प्रशांत कांबले और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) टिकट चेक कर रही थी। डिब्बे में तीन युवक-युवती सफर कर रहे थे। जब TTE ने टिकट मांगा, तो तीनों ने मोबाइल में सेव की गई एक फोटो दिखा दी। ये फोटो UTS ऐप का स्क्रीनशॉट नहीं था, बल्कि मोबाइल के Document Folder में सेव की हुई इमेज थी।

TTE को शक हुआ और उसने यात्रियों से कहा:

“अगर टिकट असली है तो UTS ऐप में खोलकर दिखाइए!”

यहीं से आरोपी फंस गए। ऐप में टिकट दिखाना इनके बस की बात नहीं थी। वे बार-बार मोबाइल सेटिंग्स, फोल्डर और गैलरी ही खोलते रह गए। TTE को समझ आ गया कि मामला गड़बड़ है।

एक ही टिकट नंबर ने खोला पूरा खेल

जब टिकटों को ध्यान से देखा गया तो तीनों सीजन पास पर वही एक ही नंबर – XOOJHN4569 छपा था। यह एक बड़ा संकेत था, क्योंकि असली UTS टिकट पर हर यात्री का टिकट नंबर अलग होता है। इससे यह पक्का हो गया कि टिकट AI टूल की मदद से बनाया गया है।

रेलवे रिकॉर्ड में नहीं मिला कोई डेटा

TTE ने इसे और पक्का करने के लिए यात्रियों के मोबाइल नंबर रेलवे रिकॉर्ड में चेक किए। परिणाम चौंकाने वाला था:

  1. किसी भी नंबर पर सीजन पास जारी नहीं हुआ था
  2. तीनों टिकट रेलवे सिस्टम में मौजूद ही नहीं थे

यानी यह साफ हो गया कि टिकट नकली हैं और पूरी तरह डिजिटल एडिटिंग द्वारा तैयार किए गए हैं।

कैसे काम कर रहा है AI टिकट स्कैम? समझिए पूरा खेल

हाल के दिनों में AI टूल्स की मदद से फोटो एडिटिंग और डॉक्युमेंट जनरेशन बेहद आसान हो गया है। ऐसे में कुछ लोग UTS ऐप के असली टिकट का फॉर्मेट इंटरनेट से ले लेते हैं और AI जनरेशन टूल में डालकर एक नया नकली टिकट तैयार कर लेते हैं।

यह पूरी प्रक्रिया ऐसे होती है:

  1. ऑनलाइन असली UTS टिकट का स्क्रीनशॉट ढूंढा जाता है
  2. उसे AI इमेज एडिटिंग टूल में अपलोड किया जाता है
  3. नाम, तारीख, टिकट संख्या, क्वार्टर नंबर जैसी जानकारी चेंज कर दी जाती है
  4. असली जैसा दिखने वाला टिकट मोबाइल में PDF या इमेज के रूप में सेव कर लिया जाता है
  5. AC लोकल, मेल एक्सप्रेस या साधारण टिकट के नाम पर इसका उपयोग किया जाता है

पहले ऐसे टिकट पकड़ना मुश्किल था, लेकिन अब TTE और RPF को खास ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि AI जनरेटेड टिकटों की पहचान की जा सके।

फर्जी टिकट पकड़े जाने पर क्या कार्रवाई हुई?

तीनों यात्रियों को तुरंत AC लोकल से उतार लिया गया। इसके बाद उनके खिलाफ निम्न कार्रवाई की गई:

  1. रेलगाड़ी अधिनियम की धारा 137 के तहत केस दर्ज
  2. नकली दस्तावेज़ दिखाने पर अतिरिक्त धारा जोड़ी गई
  3. मामला RPF के सुपुर्द किया गया
  4. आगे पूछताछ के लिए तीनों को थाने ले जाया गया

RPF को संदेह है कि यह तीनों सिर्फ यूजर्स ही नहीं बल्कि किसी बड़े फर्जी टिकट गिरोह से भी जुड़े हो सकते हैं।

AI स्कैम के बढ़ते खतरे – रेलवे क्यों हुआ सतर्क?

रेलवे अधिकारियों के अनुसार पिछले 6 महीनों में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं:

  1. नकली UTS टिकट
  2. AI जनरेटेड सीजन पास
  3. फोटो एडिटेड जनरल टिकट
  4. QR कोड कॉपी-पेस्ट कर फेक टिकट बनाना

सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि AI टिकट इतने असली लगते हैं कि एक सामान्य यात्री उन्हें देखकर अंतर नहीं कर सकता।

लेकिन TTE के प्रशिक्षण और सिस्टम रिकॉर्ड चेक से यह पकड़ा जा सकता है।

सेंट्रल रेलवे ने की TTE प्रशांत कांबले की सराहना

रेलवे ने इस मामले में सतर्कता दिखाने के लिए TTE प्रशांत कांबले को विशेष प्रशंसा दी है। उनकी मुस्तैदी से न सिर्फ तीन यात्रियों को पकड़ा गया, बल्कि AI टिकट रैकेट का भी एक बड़ा हिस्सा सामने आया।

सेंट्रल रेलवे ने साफ कहा है:

  1. AI टिकट बनाना या उपयोग करना गैरकानूनी अपराध है
  2. पकड़े जाने पर जुर्माना + जेल दोनों हो सकते हैं
  3. UTS ऐप की सुरक्षा और सिस्टम अपडेट किए जा रहे हैं
  4. सभी स्टेशनों पर विशेष निगरानी बढ़ाई जा रही है

रेलवे ने यात्रियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि:

"टिकट सिर्फ अधिकृत काउंटर, ATVM मशीन या असली UTS ऐप से ही खरीदें। किसी भी प्रकार की डिजिटल एडिटिंग या स्कैन की हुई कॉपी मान्य नहीं है।"

क्या AI टिकट पहचानना मुश्किल है? जानें TTE किन तरीकों से पकड़ते हैं

TTE के पास अब कुछ नए तरीके हैं, जिनसे वह आसानी से फर्जी टिकट पहचान सकता है:

✔ 1. UTS ऐप में टिकट खोलने का आग्रह

फर्जी टिकट केवल इमेज या PDF होते हैं, ऐप में दिखाना संभव नहीं।

✔ 2. टिकट नंबर और QR कोड स्कैनिंग

AI टिकट में QR कोड दिखता तो है, लेकिन स्कैन नहीं होता।

✔ 3. डेटा बेस में मोबाइल नंबर चेक

असली टिकट रेलवे सर्वर पर रहता है, नकली कभी नहीं दिखता।

✔ 4. सीजन पास का फॉर्मेट चेक

नकली AI टिकटों में सीरियल नंबर और डिजाइन गलती से कॉपी होते हैं।

✔ 5. प्रवेश स्टेशन और समय की जांच

अधिकांश AI टिकट में गलत समय या गैर-मान्य स्टेशन होता है।

क्यों बढ़ रहा है AI टिकट स्कैम?

इसके पीछे कुछ बड़ी वजहें हैं:

  1. टिकट की कीमत बढ़ने के कारण लोग शॉर्टकट ढूंढ रहे हैं
  2. AI टूल्स आसानी से उपलब्ध
  3. कई युवाओं में "मुफ्त सफर" का गलत ट्रेंड
  4. सोशल मीडिया पर AI फर्जी टिकट बनाना सिखाने वाले वीडियो
  5. बिना पहचान के डिजिटल एडिटिंग करना बेहद आसान

लेकिन रेलवे ने साफ कर दिया है कि यह तकनीक से नहीं, नियमों से चलेगा।

यात्रियों के लिए जरूरी सलाह – गलती से भी AI टिकट मत बनाएं

यदि कोई यात्री:

  1. AI से टिकट बनाए
  2. किसी से खरीदे
  3. किसी का भेजा हुआ स्क्रीनशॉट इस्तेमाल करे

तो उसे रेलवे एक्ट की धारा 137, 138 और 143 के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है और 6 महीने तक की जेल भी हो सकती है।

निष्कर्ष: AI टेक्नोलॉजी जितनी आसान, उतनी ही खतरनाक – सतर्क रहें

मुंबई लोकल में AI से टिकट बनाकर सफर करना सिर्फ एक मामूली शरारत नहीं, बल्कि गंभीर अपराध है। इस घटना ने साफ कर दिया है कि रेलवे टिकट से जुड़े डिजिटल स्कैम तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन TTE और RPF की सतर्कता इन्हें पकड़ने के लिए पर्याप्त है।

सभी यात्रियों को सलाह है:

  1. सिर्फ अधिकृत ऐप/काउंटर से टिकट लें
  2. किसी भी फर्जी टिकट, AI टूल या स्क्रीनशॉट से बचें
  3. संदिग्ध गतिविधि दिखे तो रेलवे हेल्पलाइन 139 पर तुरंत सूचना दें

AI टिकट स्कैम का खेल अब ज्यादा नहीं चलेगा — क्योंकि रेलवे अब हर टिकट, हर QR कोड और हर उपकरण की कड़ी जांच कर रहा है।

Source: NBT

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